मधुमेह (डायबिटीज) | Sugar Ka Gharelu Ilaj

Sugar Ka Gharelu Ilaj

मधुमेह बीमारी का असली कारण जब तक आप लोग नही समझेगे आपकी मधुमेह कभी भी ठीक नही हो सकती है जब आपके रक्त में वसा (कोलेस्ट्रोल) की मात्रा बढ जाती है तब रक्त में मोजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों वो चिपक जाता है और     खून में मोजूद इन्सुलिन कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है (इंसुलिन की मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे रिसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है, अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है) वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है जिस कारण से शरीर में हमेशा शुगर का स्तर हमेशा ही बढा हुआ होता है जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया-नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है  अब आप समझ गये होगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न कि शुगर से.

घरेलू उपचार :-

आयुर्वेद की एक दवा है जो आप घर में भी बना सकते है –   100 ग्राम मेथी का दाना – 100 ग्राम करेले के बीज –  150 ग्राम जामुन के बीज –  250 ग्राम बेल के पत्ते |

इन सबको धूप में सुखाकर पत्थर में पीसकर पाउडर बना कर आपस में मिला ले यही औषधि है ।

औषधि लेने की पद्धति :

सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले, फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले। तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है । 

सावधानी

  सुगर के रोगी ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो, High Fiber Low Fat Diet घी तेल वाली डायट कम हो और फाइबर वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा  खाए। सब्जिया में बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज ज्यादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है । –  चीनी कभी ना खाए, डायबिटीज की बीमारी को ठीक होने में चीनी सबसे बडी रुकावट है। लेकिन आप कभी कभी अगर चाहें तो  गुड खा सकते है ।  दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना । –  प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन में खाना ना बनाए ।

–  रात का खाना सूर्यास्त के पूर्व करना होगा जो डायबिटीज आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दवा पूरी जिन्दगी खानी पडेगी, पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है।

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1. भूख लगाने के हेतुः-

प्रातःकाल खाली पेट नींबू का पानी पियें। खाने से पहले अदरक को कद्दूकस करके सैंधा नमक के साथ लें।

2. रक्तशुद्धि हेतु :-

नींबू, गाजर, गोभी, चुकन्दर, पालक, सेव, तुलसी, नीम और बेल के पत्तों का रस प्रयोग करें।

3. दमाः-

लहसुन, अदरक, तुलसी, चुकन्दर, गोभी, गाजर, मीठी द्राक्ष का रस, भाजी का सूप अथवा मूँग का सूप और बकरी का शुद्ध दूध लाभदायक है। घी, तेल, मक्खन वर्जित है।

4 उच्च रक्तचापः-

गाजर, अंगूर, मोसम्मी और ज्वारों का रस। मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है।

5. निम्न रक्तचाप

मीठे फलों का रस लें, किन्तु खट्टे फलों का उपयोग ना करें। अंगूर और मोसम्मी का रस अथवा दूध भी लाभदायक है।

6. पीलिया

अंगूर, सेव, रसभरी, मोसम्मी, अंगूर की अनुपलब्धि पर लाल मुनक्के तथा किसमिस का पानी। गन्ने को चूसकर उसका रस पियें। केले में 1.5 ग्राम चूना लगाकर कुछ समय रखकर फिर खायें।

7. मुहाँसों के दाग

गाजर, तरबूज, प्याज, तुलसी, घृतकुमारी और पालक का रस।

8. संधिवात

लहसुन, अदरक, गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी, हरा धनिया, नारियल का पानी तथा सेव और गेहूँ के ज्वारे।

9. एसीडिटी

गाजर, पालक, ककड़ी, तुलसी का रस, फलों का रस अधिक लें। अँगूर मौसम्मी तथा दूध भी लाभदायक है।

10. कैंसर

गेहूँ के ज्वारे, गाजर और अंगूर का रस।

11. सुन्दर बनने के लिए

सुबह-दोपहर नारियल का पानी या बबूल का रस लें। नारियल के पानी से चेहरा साफ करें।

12. फोड़े-फुन्सियाँ

गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी और नारियल का रस।

13. कोलाइटिस

गाजर, पालक और अन्नानास का रस। 70 प्रतिशत गाजर के रस के साथ अन्य रस समप्राण। चुकन्दर, नारियल, ककड़ी, गोभी के रस का मिश्रण भी उपयोगी है।

14. अल्सर

अंगूर, गाजर, गोभी का रस, केवल दुग्धाहार पर रहना आवश्यक है, खूब गर्म दूध में 2 चम्मच देशी गाय का घी डालकर मिलाकर करके पियें।

15. सर्दी-कफ

मूली, अदरक, लहसुन, तुलसी, गाजर का रस, मूँग अथवा भाजी का सूप।

16. ब्रोन्काइटिस

पपीता, गाजर, अदरक, तुलसी, अनन्नास का रस, मूँग का सूप। स्टार्चवाली खुराक वर्जित।

17. दाँत निकलते बच्चे के लिए

अन्नानास का रस थोड़ा नींबू डालकर रोज चार औंस (100-125 ग्राम)।

18. रक्तवृद्धि के लिए

मौसम्मी, अंगूर, पालक, टमाटर, चुकन्दर, सेव, रसभरी का रस रात को। रात को भिगोया हुआ खजूर का पानी सुबह में। इलायची के साथ केले भी उपयोगी हैं।

19. स्त्रियों को मासिक धर्म कष्ट

अंगूर, अन्नानास तथा रसभरी का रस।

20. आँखों के तेज के लिए

गाजर का रस तथा हरे धनिया का रस श्रेष्ठ है।

21. अनिद्रा

अंगूर और सेव का रस। पीपरामूल शहद के साथ।

22. वजन बढ़ाने के लिए

पालक, गाजर, चुकन्दर, नारियल और गोभी के रस का मिश्रण, दूध, दही, सूखा मेवा, अंगूर और सेवों का रस।

23. डायबिटीज

गोभी, गाजर, नारियल, करेला और पालक का रस।

24. पथरी

पत्तों वाली सब्जी,  पालक, टमाटर ना लें। ककड़ी का रस श्रेष्ठ है। सेव अथवा गाजर या कद्दू का रस भी सहायक है। जौ एवं सहजने का सूप भी लाभदायक है।

25. सिरदर्द

ककड़ी, चुकन्दर, गाजर, गोभी और नारियल के रस का मिश्रण।

26. किडनी का दर्द

गाजर, पालक, ककड़ी, अदरक और नारियल का रस।

27. फ्लू

अदरक, तुलसी, गाजर का रस।

28 वजन घटाने के लिए

अन्नानास, गोभी, तरबूज,लौकी और नींबू का रस।

29. पायरिया

गेहूँ के ज्वारे, गाजर, नारियल, ककड़ी, पालक और सोया की भाजी का रस। कच्चा अधिक खायें।

30. बवासीर

मूली का रस, अदरक का रस घी डालकर, नागर मोथा, नारियल पानी।

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हिचकी |Hichki Ki Desi Dawa

Hichki Ki Desi Dawa

सभी प्रकार की हिचकियों में अदरक की साफ किया हुआ छोटा टुकड़ा चूसना चाहिए।

अदरक के बारीक टुकड़े को चूसने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है। घी या पानी में सेंधानमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।

एक चम्मच अदरक का रस लेकर गाय के 250 मिलीलीटर ताजे दूध में मिलाकर पीने से हिचकी में फायदा होता है।

एक कप दूध को उबालकर उसमें आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण डाल दें और ठंडा करके पिलाएं।

ताजे अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके चूसने से पुरानी एवं नई तथा लगातार उठने वाली हिचकियां बंद हो जाती हैं। समस्त प्रकार की असाध्य हिचकियां दूर करने का यह एक प्राकृतिक उपाय है।

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बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार

बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार |Bawaseer Ki Desi Dawai

यह बीमारी व्यक्ति को काफी पीड़ा पहुंचाती है। मलद्वार की शिराओं के फूलने से मटर के दाने जैसे मांस के अंकुर निकलना आयुर्वेद में अर्श और आम भाषा में बवासीर के नाम से जाना जाता है। यह रोग बादी और खूनी,बवासीर के नाम से दो प्रकार का होता है। बादी बवासीर में गुदा में पीड़ा, खुजली और सूजन होती है, जबकि खूनी बवासीर में मस्सों से मल के टकराने से रक्तस्राव होता है।

कारण :

बवासीर होने के प्रमुख कारणों में कब्ज अजीर्ण की शिकायत, अत्यधिक मद्यपान, नशीली चीजें खाना, मिर्च-मसालेदार, तले हुए गरिष्ठ पदार्थों का अधिक सेवन, अनियमित भोजन, मांस, मछली, अंडा खाना, बैठे रहने का कार्य करना, श्रम व व्यायाम न करना, धूम्रपान, रात में जागरण, यकृत की खराबी, घुड़सवारी करना आदि होते हैं।

लक्षण :

इस रोग के लक्षणों में पाखाना सख्त और कम मात्रा में होना, गुदा में कांटे चुभने जैसा दर्द, सृजन, खुजली होना, खून गिरना, अधिक रक्तस्राव से शरीर पीला पड़ना, दुर्बलता, चक्कर, घबराहट होना, चिंता, क्रोध, अपानवायु का अवरोध, जोर लगाकर वायु निकालना पड़े, आंखों में शोथ, भोजन में अरुचि आदि देखने -को मिलते हैं।

1- खूनी बवासीर :-

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिफॅ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। मल त्यागने के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है।

2-बादी बवासीर :-

बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन,  दर्द, खुजली, शरीर मै बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। मल कड़ा होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है।

मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी जवान में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीडा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम केंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।लेकिन इन आयुर्वेदिक औषधियों को अपनाकर बवासीर से छुटकारा पाया जा सकता है।

छाछ (लस्सी)

बवासीर के मस्‍सों को दूर करने के लिए मट्ठा बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए करीब दो लीटर छाछ लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और स्‍वादानुसार नमक मिला दें। प्यास लगने पर पानी के स्‍थान पर इसे पीये। चार दिन तक ऐसा करने से  मस्‍से ठीक हो जायेगें। इसके अलावा हर रोज दही खाने से बवासीर होने की संभावना कम होती है। और बवासीर में फायदा भी होता है।

त्रिफला

आयुर्वेंद की महान देन त्रिफला से हम सभी परिचित है। इसके चूर्ण का नियमित रूप से रात को सोने से पहले 1-2 चम्‍मच सेवन कब्‍ज की समस्‍या दूर करने मेंं मदद करता है। जिससे बवासीर में राहत मिलती है।

जीरा

छोटा सा जीरा पेट की समस्‍याओं बहुत काम का होता है। जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से फायदा मिलता है। या आधा चम्‍मच जीरा पाउडर को एक गिलास पानी में डाल कर पियें। इसके साथ जीरे को पीसकर मस्‍सों पर लगाने से भी फायदा मिलता है।

केला और कत्था

पके केले को बीच में से चीरकर दो टुकड़े कर ले और उस पर कत्था पीसकर, थोड़ा थोड़ा बुरक ले। कत्था बाजार से पिसा पिसाया मिल जाता हैं। इस के बाद केले के उन टुकड़ो को खुली जगह पर आसमान के नीचे रख दे। सुबह होने पर खाली पेट  उन टुकड़ो का सेवन करे। एक हफ्ते ये प्रयोग करे, कैसी भी बवासीर हो, नष्ट हो जाती हैं।

अंजीर

सूखा अंजीर बवासीर के इलाज के लिए एक और अद्भुत आयुर्वेदिक उपचार हैं। एक या दो सूखे अंजीर को लेकर रात भर के लिए गर्म पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसको खाने से फायदा होता है।

हरीतकी (हरड़)

हरड़ के रूप में लोकप्रिय हरीतकी कब्‍ज को दूर करने का एक बहुत अच्‍छा आयुर्वेदिक उपाय है। हरीतकी चूर्ण आधा से एक चम्मच, रात को गुनगुने पानी से लेने से या गुड़ के साथ हरड खाने से बवासीर की समस्‍या से निजात मिलता है।

नारियल की जटा लीजिए। उसे माचिस से जला दीजिए। जलकर भस्म बन जाएगी। इस भस्म को शीशी में भर कर ऱख लीजिए। कप डेढ़ कप छाछ या दही के साथ नारियल की जटा से बनी भस्म तीन ग्राम खाली पेट दिन में तीन बार सिर्फ एक ही दिन लेनी है। ध्यान रहे दही या छाछ ताजी हो खट्टी न हो। कैसी और कितनी ही पुरानी पाइल्स की बीमारी क्यों न हो, एक दिन में ही ठीक हो जाती है।

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पेट में गैस बनना

पेट में गैस बनना | Pet Me Gas Ka Ilaj In Hindi

Pet Me Gas Ka Ilaj In Hindi | pet me gas ka gharelu ilaj

पेट में गैस बनना आम बात है लेकिन कई बार इसकी वजह से सीने में भी दर्द होने लगता है। गैस भयंकर तरीके से सिर में चढ़ जाती है और उल्टियां तक आने लगती है। अगर आपको भी खतरनाक तरीके से गैस बनती है तो आप देशी दवाई की जगह घरेलू उपायों के जरिए इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

दरअसल, गैस बनने से पेट फूलने लगता है और पाचन संबंधी दिक्कत पैदा हो जाती है। अगर आपको ज्यादा गैस बनती है तो इसे बिल्कुल भी हल्के में न लें क्योंकि इसकी वजह से आपको घातक पेट के रोग हो सकते हैं। पेट फूलने और गैस बनने पर आप घर में ही मौजूद चीजों से इसका इलाज कर सकते हैं और इस बीमारी से जड़ से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं पेट में बनने वाली गैस को किस तरह से घरेलू नुस्खों से दूर किया जा सकता है…

नींबू और बेकिंग सोडा

अगर आप गैस की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको रोजाना खाली पेट एक चम्मच बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। इसे पीते ही आपको गैस की समस्या से पल भर में छुटकारा मिल जाएगा।

हींग

हींग जहां खाने का स्वाद बढ़ाता है , वहीं हींग गैस की समस्या में भी काफी फायदेमंद है। आप गिलास गर्म पानी में हींग मिलाकर पिएं। इससे आपकी गैस की समस्या दूर हो जाएगी। दिन में करीब दो से तीन हींग का पानी पिएं।

काली मिर्च

काली मिर्च भी गैस की समस्या को दूर करता है। काली मिर्च का सेवन करने से न केवल गैस की समस्या में राहत मिलती है , बल्कि इससे हाजमा भी सही रहता है। पेट में गैस होने पर आप दूध में काली मिर्च मिलाकर पी सकते हैं।

दालचीनी

दालचीनी का सेवन करने से भी गैस की समस्या दूर होती है। आप गैस की समस्या में दालचीनी को पानी में उबाल लें और फिर उसे ठंडा कर लें। रोजाना सुबह खाली पेट दालचीनी के पानी का सेवन करें। अगर आपको इसका स्वाद अच्छा न लगे तो आप इसमें शहद भी डाल सकते हैं।

लहसुन

लहसुन सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। ऐसे ही गैस की समस्या में लहसुन खाने से काफी फायदा मिलता है। जब आपके पेट में गैस हो तो उस समय आप लहसुन को जीरा, खड़ा धनिया के साथ उबाल लें। अब रोजाना दिन में दो बार इसका सेवन करने से गैस की समस्या खत्म हो जाएगी।

छांछ (लस्सी)

छाछ में काला नमक और अजावइन मिलाकर पीने से गैस की समस्या से तुरंत निजात मिलता है।

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एसिडिटी | Acidity Treatment In Hindi

एसिडिटी | Acidity Treatment In Hindi

Acidity Treatment In Hindi |acidity home remedies in hindi

आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम खुद को अच्छे से वक़्त देना भूल चुके हैं. इस बदलते लाइफस्टाइल का सबसे अधिक प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है. लोग अपने काम-काज में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि सही डाइट नहीं ले पाते और फिर बीमार पड़ जाते हैं. इन्ही गंभीर बिमारियों से एक बीमारी है एसिडिटी. वैसे देखा जाए तो एसिडिटी कोई बीमारी नहीं है. असल में यह हमारी बदलती हुई जीवनशैली के कारण हमे आ घेरती है.

एसिडिटी के दौरान खट्टी डकार आना, पेट फूलना, सीने में जलन होना आदि लक्ष्ण दिखाई देते हैं. एसिडिटी के अनेकों कारण हो सकते हैं. ख़ास कर जो लोग तले भुने खाने खाते हैं, उन लोगों में एसिडिटी होना आम बात है. आज हम आपको एसिडिटी के कुछ ऐसे उपचार बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपना कर आप चुटकियों में एसिडिटी से छुटकारा पा सकते हैं.

एसिडिटी बनने की प्रक्रिया

अप में से अधिकतर लोग एसिडिटी के पीछे का कारण खान-पान की आदतों को मानते होंगे. लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है. एसिडिटी का कारण खाली पेट भी हो सकता है. दरअसल, आज के समय में लोग डाइटिंग पर ख़ास ध्यान देते हैं. ऐसे में कईं बार भूख लगने पर भी लोग समय पर खाना नहीं खाते जिसके कारण उनके शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. यही एसिड धीरे धीरे एसिडिटी एवं जलन का रूप ले लेता है. इसके इलावा धुम्रपान, अधिक मात्र में चाय-काफी का सेवन, शराब आदि एसिडिटी के प्रमुख कारण हैं.

तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्ते देवी देवताओं का प्रतीक हैं. आयुर्वेद ग्रंथ में तुलसी को सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि बताया गया है. इसकी पत्तियों में सुखदायक, वायुनाशक और वात हरने वाले गुण होते हैं, जो कि सीने में होने वाली जलन, पेट की गैस आदि जैसी समस्याओं से तुरंत राहत देते हैं.

इस्तेमाल की विधि

यदि आपको पेट में गड़बड़ी महसूस होने लगे या फिर आपके सीने में जलन हो तो तुलसी की कुछ पत्तियों को तुरंत चबाकर खा लें. या फिरआप एक कप पानी में चार-पांच तुलसी की पत्तियों को डालकर उबालें और कुछ मिनट के लिए ठंडा होने दें. ठंडा होने के बाद इसमें शहद घोल कर पी लें आपको एसिडिटी से राहत मिलेगी.

लौंग का सेवन

लौंग हर भारतीय रसोई घर में पाया जाने वाला एक उत्तम मसाला है. विशेषज्ञों के अनुसार लौंग एक पारंपरिक आयुर्वेदिक दवा है. यह खाने को स्वादिष्ट बनाने में काम आटा है. इसमें आपके स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के कई गुण शामिल होते हैं. लौंग में वातहर नामक गुण होता है,जिससे पेट की गैस, सीने में जलन अर्थात एसिडिटी को झट से खत्म करने की क्षमता होती है.

इस्तेमाल की विधि

लौंग को आप नियमित रूप से अपने व्यंजनों में शामिल करें. इसके अलावा एसिडिटी से तुरंत राहत के लिए दो-तीन लौंग लें और खूब चबा-चबाकर खाएं. अगर आपको लौंग कड़वा लगे तो आप इसे इलायची के साथ चबा कर भी खा सकते हैं. एसिडिटी खत्म करने के साथ-साथ यह मुंह की दुर्गंध से भी छुटकारा दिलाती है.

दालचीनी का सेवन

दालचीनी एक ऐसा मसाला है, जो नेचुरल प्राकृतिक अम्लत्वनाशक के रूप मेंइस्तेमाल किया जाता है. एसिडिटी को खत्म करने व पाचन-तंत्र को दुरुस्त रखने में दालचीनी को सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि माना गया है.

इस्तेमाल की विधि

दालचीनी का इस्तेमाल करने के लिए आप एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी मिला लें. अब इस पानी को कुछ मिनट तक उबाल लें और फिर इस दालचीनी की चाय का सेवन दिन में दो से तीन बार करें. इससे आपको एसिडिटी से छुटकारा मिलेगा.

जीरे का सेवन

वैसे तो दाल-सब्जी में स्वाद बढाने के लिए मसले के रूप में जीरे का इस्तेमालकिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटा-सा दिखने वाला यह जीरा असल में बहुत काम का होता है. पेट में जाकर यह एसिड न्यूट्रालाइजर की तरह काम करता है. एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के लिए आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

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आंख की फुंसी को मसलना नहीं चाहिये। फुंसी को फोड़ने या पस निकालने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिये। मसलने या फोड़ने से इन्फेक्शन होकर समस्या बढ़ सकती है

आंख में फुंसी होने पर कांटेक्ट लेंस नहीं पहनने चाहिए। लेंस की बजाय चश्मा काम में लेंना चाहिए।

गुप्तांग की सफाई नहीं करने पर भी आँख पर बार बार फुंसी हो जाती है। अतः गुप्तांग को नहाते वक्त अच्छे से धोकर साफ करना चाहिए।

आंख के फुंसी को मेकअप जैसे मस्कारा , आई लाइनर , आई शेडो आदि से छुपाने की कोशिश नही करनी चाहिये । मेकअप के सामान से इन्फेक्शन बढ़ सकता है। पुराना हो चुका आँख के मेकअप का सामान भूल कर भी काम में ना लें

ये है घरेलू उपाय

गर्म पानी से सिकाई

गर्म पानी में साफ सूती कपड़े को भिगोकर नीचो लें। इससे गुहेरी की सिकाई करें। दिन में तीन चार बार इस प्रकार सिकाई करने से बहुत आराम मिलता है। सुजन और दर्द कम हो जाते है।

ग्रीन टी

ग्रीन टी पैक में मौजूद टैनिन संक्रमण बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा इससे आंखों से सूजन और दर्द से राहत मिलती है। इसे इस्तेमाल करने के लिए गर्म पानी में ग्रीन टी डालें और फिर इस घोल को 5 मिनट तक आंख की बिलनी पर लगाएं।

हल्दी

हर घर की रसोई में पाई जाने वाली हल्दी कई रोगों की दवा है। आंख की गुहेरी से राहत पाने के लिए पैन में 2 कप पानी और 1 चम्मच हल्दी डाल कर इसे अच्छी तरह से उबाल लें। फिर इसे ठंडा करके आंख पर सूखे और साफ कपड़े से लगाएं। इससे बहुत जल्दी आराम मिलेगा।

एलोवेरा जेल

आंख की गुहेरी से राहत पाने के लिए एलोवेरा काफी कारगार उपाय है। इसके लिए एलोवेरा की जेल निकाल कर अांख पर लगाएं और 20 मिनट बाद साफ पानी से धो लें। एलोवेरा में मौजूद तत्व बैक्टीरिया को खत्म करने और संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं।

अमरूद के पत्ते

अमरूद के पत्ते भी गुहेरी को खत्म करने में मदद करते हैं। इस उपाय को करने के लिए पैन में कुछ मात्रा में पानी लें और फिर अमरूद के 4 पत्तों को साफ कपड़े में बांध कर पानी में डुबो कर उबालें। फिर पत्तियों के ठंडा होने पर इससे आंखों की गुहेरी से सिकाई करें। आपको जल्द ही इस समस्या से राहत मिलेगी।

इमली के बीज

इमली के बीज को दो दिन तक पानी में भिगोकर छिलका निकाल दें। इस छिलका निकले हुए इमली के बीज की गिरी को चंदन की तरह घिस कर गुहेरी पर लगाएं।

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Fatty Liver Kaise Theek Kre | How to keep liver healthy | for healthy liver | cure liver with ayurveda

मानव शरीर दिन भर एक मशीन की तरह काम करता है. ऐसे में मशीन की तरह ही मानव के शरीर के पुर्जे भी धीरे धीरे खराब होने लग जाते हैं. मनुष्य शरीर में हमारा पाचन प्रणाली सबसे अहम भूमिका निभाता है. खाने को ठीक से पचा कर रक्त का प्रवाह सही बनाये रखना पाचन क्रिया का ही एक हिस्सा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारा भोजन तभी ठीक से पचेगा, जब हमारा लीवर ठीक ढंग से काम करेगा |

जी हाँ लीवर के खराब या फैटी होने से भोजन नही पचता और पेट से संबंधित कईं रोग हमे अपनी चपेट में ले लेते हैं. बढती उम्र के साथ साथ लीवर का कमजोर पड़ना आम बात है. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी सामान्य चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे हर रसोई घर में रखने से आप बिलकुल तंदरुस्त रह सकते हैं. तो आईये जानते हैं उन चीज़ों के बारे में जो आपके लीवर को मजबूती देने में अहम किरदार निभाती हैं…

चुकंदर

चुकंदर का नाम तो आपने सुना ही होगा. आयुर्वेद ग्रंथ में चुकंदर को गुणों का खजाना माना गया है. चुकंदर में ऐसे कईं पोषक तत्व पाए जाते हैं जोकि आपको फिट रखने के लिए आवश्यक हैं. यह कई बीमारियों से आपकी सुरक्षा करता है और आपके लिवर को भी कई गुना अधिक ताकतवर बनाता है. इसे डाइट में शामिल करने से आपके स्वास्थ्य को कई फायदे होंगे.

हल्दी

हल्दी हर किचन की शोभा मानी जाती है. पीले रंग की हल्दी खाने के स्वाद को दुगुना कर देती है. हल्दी में एंटी बायोटिक और एंटी इन्फ्लामेटरी गुण पाए जात एहेन. साथ ही इसमें खूब सारे न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं. इसलिए हल्दी का सेवन करने से हमारा लीवर दरुस्त रहता है और पाचन प्रणाली में बिगड़ाव नहीं आता.

अदरक

अदरक हमारे लीवर के काम करने की क्षमता कोदुगुना करता है. यह भी एंटीऑक्सीडेंट गुणों का खजाना है जोकि पेट को साफ़ रखने में मददगार है. स्टडी में यह बात साबित हो चुकी है कि अदरक के प्रयोग से लिवर तंदुरूस्त होता है।

नींबू

कई बार अधिक खाना खा लेने के बाद नींबू पानी पीने की सलाह दी जाती है. पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में नींबू बहुत सहायक सिद्ध होता है. डॉक्टर भी दिन की शुरुआत नींबू और गर्म पानी के साथ करने की सलाह देते हैं. नींबू लिवर की क्रियाओं को मजबूती देता है.

कलौंजी का तेल

कलौंजी का तेल शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है. इसके इलावा कलौंजी का तेल बोगी की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. लिवर की हेल्थ के लिए यह बहुत असरकारी है।

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अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे बढ़ाएं

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Rog Pratirodhak Chamta Badhane Ke Upay | how to boost immunity

1. नीम की पत्ती

औषधीय गुण:  रक्तशोधक जीवाणुनाशक

सेवन की विधि: 5-10 पत्तों को चबाकर प्रातः काल सेवन करें।

2. हरड़ चूर्ण

औषधीय गुण:त्रिदोष शामक, पाचन शक्तिवर्धक

सेवन की विधि: भुनी हरड़, जीरा एवं काला नमक पीसकर चूर्ण बना लें, आधा चम्मच चूर्ण दो बार गुनगुने जल से सेवन करें।

3. आँवला

औषधीय गुण:रोग-प्रतिरोधक क्षमतावर्धक

सेवन की विधि: उपलब्ध होने पर कच्चे आँवले की चटनी बनाकर सेवन करें अन्यथा आँवले का चूर्ण एक चम्मच दिन में दो बार सेवन करें।

4. हर्बल चाय

औषधीय गुण: व्याधिक्षमत्व वर्द्धक, श्वसन तंत्र के रोगों में लाभकारी

सेवन की विधि: 10-12 ताजे तुलसी पत्र, 2 छोटे टुकड़े दालचीनी,5-7 काली मिर्च, छोटा टुकड़ा या आधा चम्मच (छोटी चम्मच) सोंठ एवं 4-5 मुनक्का को एक लीटर पानी में आधा रहने तक उबालें, इस हर्बल चाय का प्रयोग दिन में दो बार करें।

5. तुलसी पत्र काढा

औषधीय गुण:

सर्दी, खाँसी इत्यादि में लाभकारी

सेवन की विधि: लगभग 10-15 तुलसी पत्र,छोटा टुकड़ा अदरख, 4-5 काली मिर्च व 4-5 मुनक्का चार कप पानी में उबालें, एक कप शेष रहने पर छानकर दिन में दो बार पियें।

6 अजवाइन काढा

औषधीय गुण:पाचक, सर्दी-जुकाम में लाभदायक

सेवन की विधि: दो चम्मच अजवाइन को चार कप पानी में उबाले, एक कप शेष रहने पर गुनगुना ही दिन में दो बार प्रयोग करें।

7. गिलोय काढा

औषधीय गुण: रोग-प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि कर, रसायन

सेवन की विधि: 1-1 इंच के चार टुकड़े चार कप पानी में रात को भिगो दें, प्रातः काल उबाल लें, एक चैथाई शेष रहने पर सुबह-शाम सेवन करें।

8. सहिजन

औषधीय गुण:बलवर्धक एवं वातनाशक

सेवन की विधि: ताजी फलियों को उबालकर सब्जी बनाकर प्रयोग करें।

9. बेल

औषधीय गुण:पाचक

सेवन की विधि: पके हुये बेल के गुदे को निकालकर पानी में घोलकर शरबत के रूप में पीयें।

10. पुदीना शिंकजी

औषधीय गुण: भूखवर्धक एवं शरीर के पानी की कमी को दूर करने वाला

सेवन की विधि: एक गिलास पानी में आधा नीबू निचोड़कर एवं उसमें थोड़ा गुड एवं काला नमक व 5-10 पुदीने की पत्तिया मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।

11. चावल माँड

औषधीय गुण : बलवर्धक

सेवन की विधि : चावल को पानी में भिगोकर आठ गुना पानी में उबालें, माँड को निथारकर उसमें भूना जीरा एवं सैन्धव मिलाकर सेवन करें।

12. मोटा अनाज

औषधीय गुण : बलवर्धक, पाचनशक्ति वर्धक एवं पोषक

सेवन की विधि : ज्वार, साँवा, जौ, मक्का एवं चना के आटा का सेवन करें।

13. बथुआ, चौलाई , पालक एवं लोबिया

औषधीय गुण : बल्य एवं रसायन

सेवन की विधि: बथुआ , चौलाई , पालक एवं लोबिया में से किसी एक को सब्जी के रूप में प्रयोग करें। इसमें हींग का अवश्य प्रयोग करें।

14. यूकेलिप्टस पत्र

औषधीय गुण : श्वास-कास नाशक

सेवन की विधि : पत्तियों को पानी में डालकर उबालें व इसकी भाप को दिन में दो बार लें।

15.  ज्वारांकुश (हरी चाय)

औषधीय गुण : बल्य एवं ज्वर नाशक

सेवन की विधि : ज्वारांकुश की 2-3 पत्तियों को चार कप पानी में उबालें, एक कप शेष रहने पर दो बार सेवन करें।

घरेलू चिकित्सा ज्ञान

16. मठ्ठा पाचक शक्ति वर्धक

सेवन की विधि : भोजन के साथ इसका प्रयोग काला नमक एवं भुने जीरे के साथ करें।

17.  महुआ का फूल

 बलवर्धक एवं पोषक

सेवन की विधि : 20-30 महुआ का फूलों को पानी या दूध में उबाल कर सेवन करें।.

18. सत्तू

औषधीय गुण : पोषण

सेवन की विधि : चना एवं जौ से बने सत्तू को नमक या गुड़ के साथ सेवन करें ।

19. पेठा

 शीतल एवं मेध्य

सेवन की विधि :पेठा को उबालकर घी में भूनकर सेवन करें।

20. मेथी एवं खुरासानी अजवायन

औषधीय गुण : रोग-प्रतिरोधक क्षमता वर्धक एवं शूलहर

सेवन की विधि : मेथी एवं खुरासानी अजवायन के बीज लेकर उसे पीसकर गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार लें।

2. औषधि द्रव्य : हल्दी

औषधीय गुण : एण्टी एलर्जिक

सेवन की विधि : हल्दी के चूर्ण को घी में भूनकर आधा चम्मच दिन में दो बार गुनगुने पानी से सेवन करें।

21. कच्चा आम

औषधीय गुण : पाचक एवं शरीर के पानी की कमी को दूर करने वाला

सेवन की विधि : कच्चे आम को पानी में उबालकर, पानी में मसल लें, उसमें पुदीना, काला नमक एवं भूना जीरा मिलाकर पीयें।

किसी व्याधि विशेष के उत्पन्न होने पर उस ऋतु में शारीरिक बल के अनुरूप चिकित्सा योगों का उपयोग किया जा सकता है –

1. सूखी खांसी

उपाय: 1 सितोपलादि चूर्ण 03 ग्राम दिन में दो बार गुनगुने जल या शहद में।

2. वासा (अडूसा) की 8-10 पत्ती तथा छोटी कटेरी की जड़ को चार कप पानी में उबाले, एक कप शेष रहने पर दो बार पियें।

2. गले में दर्द

उपाय:

 दो लौंग, मूलेठी एवं अदरक को पीसकर गुड़ में मिलाकर पका लें, और उसे गोली बनाकर दिन में दो बार चूसें।

3. अतिसार (दस्त)

उपाय:

बेल के गूदे को पानी में डालकर मसलकर छान लें, उसको पी ले अथवा एक चम्मच अजवाइन को पीसकर गुनगुने पानी से दिन में 2-3 बार लें।

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उल्टी रोकने के घरेलू उपाय

उल्टी रोकने के घरेलू उपाय (Ulti Rokne Ke Gharelu Upay Hindi )

Ulti Rokne Ke Gharelu Upay Hindi Me | ulti ka ilaj in hindi

1.हरी धनिया का रस निकालकर उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक और एक नींबू डालकर पीने से उल्टी में तुरंत लाभ होता है।

2. आधा चम्मच धनिया का पाउडर आधा चम्मच सौंफ का पाउडर एक गिलास पानी में डालें और उसमें थोड़ी सी मिश्री घोल कर पीने से उल्टी आनी बंद हो जाती है।

3.अदरक के रस और नींबू के रस की मात्रा बराबर मात्रा में डालकर एक रस तैयार कर लें। इसे पीने से उल्टी में लाभ होता है।

4.अदरक और प्याज का रस एक चम्मच लेकर मिलाकर पीएं। इससे उल्टी में लाभ होता है।

5.एक चम्मच अदरक के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर पीने से भी उल्टी आनी बंद हो जाती है।

6.पुदीने का रस निकालकर उसमें नींबू का रस और शहद बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। इसका दिन में दो-तीन बार प्रयोग करें। पुदीने की पत्तियां भी चबा कर खाने से उल्टी में तुरंत लाभ.

कार में सफर करने के दौरान

कई लोगों को कार में सफर करने के दौरान सिर दर्द, उल्टियां, जी मचलाना जैसी समस्याएं आती हैं। ऐसे में वे सफर का आनंद नहीं ले पाते और पूरे समय बस अपनी तबियत की वजह से परेशान रहते हैं। अगर आपके साथ भी ये दिक्कत रहती है तो ये टिप्स आपके लिए मददगार हो सकते हैं।

– कार में हमेशा आगे वाली सीट पर बैठें। पीछे बैठने की वजह से झटके ज्यादा महसूस होते हैं जिस वजह से सिर चकराने और उल्टियां होने लगती है। इसलिए इन सबसे बचने के लिए आगे वाली सीट पर बैठना आपके लिए फायदेमंद होगा।

– अपने रुमाल में कुछ बूंदे मिंट (पुदीना) तेल की छिड़क लें और उसे सूंघते रहें। इससे आपको आराम मिलेगा। मिंट की चाय भी ऐसे में फायदा करती है।

– जब भी कार में ट्रेवल करना हो तो उससे पहले घर से कुछ भी भारी खाकर ना निकलें। स्पाइसी, जंक फूड खाने से बचें क्योंकि इससे आपको सफर के दौरान उल्टी आ सकती है।

– कार में सफर के दौरान जी मचलाए तो खुद से या दूसरों से बातें करने लगें। इससे आपका दिमाग तबीयत से भटकेगा और आप अच्छा महसूस करेंगे।

– कार में सफर करने से पहले अदरक की टॉफी आप चबा सकते हैं। इसके अलावा घर से निकलने से पहले अदरक वाली चाय पीकर निकलने से भी आपको फायदा होगा।

आपका भी कोई दोस्त गाड़ी या बस में बैठते ही उलटी करता है? तो उसे भी बताएं ये आसान घरेलू नुस्खे…

अदरक

अदरक में ऐंटीमैनिक गुण होते हैं। एंटीमैनिक एक ऐसा पदार्थ है जो उलटी और चक्कर आने से बचाता है। सफर के दौरान जी मिचलाने पर अदरक की गोलियां या फिर अदरक की चाय का सेवन करें। इससे आपको उलटी नहीं आएगी। अगर हो सके तो अदरक अपने साथ ही रखें। अगर घबराहट हो तो इसे थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।

प्याज का रस

सफर में होने वाली उलटियों से बचने के लिए सफर पर जाने से आधे घंटे पहले 1 चम्मच प्याज के रस में 1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर लेना चाहिए। इससे आपको सफर के दौरान उलटियां नहीं आएंगी। लेकिन अगर सफर लंबा है तो यह रस साथ में बनाकर भी रख सकते हैं।

लौंग का जादू

सफर के दौरान जैसे ही आपको लगे कि जी मिचलाने लगा है तो आपको तुरंत ही अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। ऐसा करने से आपका जी मिचलाना बंद हो जाएगा।.

मददगार है पुदीना

पुदीना पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और इस तरह चक्कर आने और यात्रा के दौरान तबियत  खराब लगने की स्थिति को भी खत्म करता है। पुदीने का तेल भी उलटियों को रोकने में बेहद मददगार है। इसके लिए रुमाल पर पुदीने के तेल की कुछ बूंदे छिड़कें और सफर के दौरान उसे सूंघते रहें। सूखे पुदीने के पत्तों को गर्म पानी में मिलाकर खुद के लिए पुदीने की चाय बनाएं। इस मिश्रण को अच्छे से मिलाएं और इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। कहीं निकलने से पहले इस मिश्रण को पिएं।

नींबू का कमाल

नींबू में मौजूद सिट्रिक ऐसिड उलटी और जी मिचलाने की समस्या को रोकते हैं। एक छोटे कप में गर्म पानी लें और उसमें 1 नींबू का रस व थोड़ा सा नमक मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाकर पिएं। आप नींबू के रस को गर्म पानी में मिलाकर या शहद डालकर भी पी सकते हैं। यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने का यह एक कारगर इलाज है।

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